अम्मा की कहानियाँ

 

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एक सुनहरे बाल वाला बन्दर

 

एक बन्दर के सोने के बाल थे। उसने देखा लोग नाई से बाल कटवाते हैं। हजामत बनवाते हैं। बन्दर ने सोचा कि मैं भी हजामत बनवाऊँगा। वह नाई के पास गया। उसने नाई से कहा कि मेरे भी बाल काट दे। मेरी भी हजामत बना दे। नाई ने बन्दर से कहा देख तेरे बाल तो हैं सोने के। अगर मैंने तेरे बाल काट दिये और फिर तूने अपने बाल वापिस माँगे मैं दे नहीं सकता। बन्दर ने नाई की बहुत खुशामद की। नाई तू मेरी हजामत बना दे। नाई ने उस्तरे से बन्दर के बाल काट दिये। बन्दर ने अपना मुँह हाथ से फेरा और कहा मेरे सोने के बाल कहा गये।  नाई ने कहा बाल तो कट गये तो कट गये। बाल वापिस चेहरे पर नहीं लगाये जा सकते। बन्दर ने गुस्से में नाई का उस्तरा ले लिया और उस्तरे को ले कर बन्दर भागा। बन्दर ने देखा एक बुढ़िया हाथ से घास निकाल रही है। बन्दर ने बुढ़िया से कहा कि बुढ़िया तेरे हाथों में तो ऐसे बहुत दर्द हो जायेगा। तू मेरा  उस्तरा ले ले। इस से घास जल्दी कट जायेगी। बुढ़िया ने पहले तो कहा मैं हाथ से ही घास काट लूँगी। फिर  बन्दर से  उस्तरा ले लिया। बुढ़िया तो घास काटने लगी। बन्दर बुढ़िया के पास रखी घास की गठरी उठाकर भाग गया।

बन्दर ने एक घोड़े वाले को आते हुए देखा। बन्दर ने  घोड़े वाले से कहा कि तेरा घोड़ा तो बहुत कमजोर है। इसे कुछ खाने को क्यों नहीं देते। घोड़े वाले ने कहा भैया क्या करें गर्मी का मौसम है ताजी घास तो मिलती नही। बन्दर ने  कहा मेरे पास तो ताजी घास है। घोड़े को खिलाओ। घोड़े वाले ने घास की गठरी ले ली और घोड़े को खिलाने लगा। बन्दर घोड़े पर चढ़ा और घोड़े को ले कर भाग गया। घोड़े वाला तो पीछे-पीछे भागा। पर घोड़ा तो तेज दौड़ रहा था।

आगे बन्दर ने देखा एक बरात जा रही थी। डोली में तो दुल्हन बैठी थी और दूल्हा बरातियों के साथ पैदल चल रहा था। बन्दर ने कहा बरातियों तुम्हें शर्म नहीं आती। देखो तो सही दूल्हा पैदल-पैदल चल रहा है। बन्दर ने कहा तुम मेरा घोड़ा ले लो और दूल्हे को घोड़े के ऊपर बैठाओ। दूल्हे को यह सुझाव बहुत अच्छा लगा। वह घोड़े पर बैठ गया। घोड़ा  दूल्हे को ले कर भाग गया और बन्दर  दुल्हन को ले कर भाग गया।

 

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