अम्मा की कहानियाँ

 

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हाथी

 

हाथी बहुत होशियार होता है। भूलता नहीं है किसी बात को। एक हाथी था। वह रोज नदी किनारे जाता था। हाथी के रास्ते में एक दर्जी की दुकान थी। दर्जी हाथी को रोज एक केला देता था। हाथी अपनी सूँड दर्जी की दुकान के अन्दर करता था और  दर्जी हाथी की सूँड में एक केला रख देता था। फिर हाथी आगे चला जाता था। एक दिन क्या हुआ दर्जी तो गया था किसी दूसरे शहर में और उसका लड़का दुकान देख रहा था। हाथी रोज के तरह नदी पर गया। नहाया धोया। फिर हाथी घूमता घामता दर्जी की दुकान पर आया। उसने दुकान के अन्दर सूँड डाली यह सोच कर कि लड़का उसे केला देगा। लड़के को मसकरी सूझी। उसने हाथी को केला तो दिया नहीं और उसकी सूँड में सुई चुभा दी। हाथी ने अपनी सूँड तो वापिस कर ली पर उसको  बड़ा खराब लगा और वह आगे चला गया।

अगले दिन हाथी जी नहाने गये। नहाने के बाद उन्होंने पानी पिया और बहुत सारा कीचड़ भरा पानी अपनी सूँड में भर लिया। सूँड में कीचड़ भरा पानी लेकर हाथी दर्जी की दुकान आए। उन्होंने अपनी सूँड को दर्जी की दुकान में डाला और सारा मट्टी भरा गंदा पानी दुकान के अन्दर डाल दिया। दर्जी वापिस आया और उसने अपनी दुकान देखी। सारे कपड़े गंदे हो गये थे। सारी दुकान मट्टी से भरी थी। उसने सोचा हाथी को क्या हुआ। दर्जी ने अपने लड़के से पूँछा हाथी ने ऐसा काम क्यों करा। तुमने हाथी को केला दिया था नहीं। लड़के ने कहा मैंने केला तो नहीं दिया पर हाथी की सूँड में सुई चुभा दी थी। बस दर्जी को मालुम हो गया कि हाथी उसकी दुकान में केला लेने अब नहीं आएगा। फिर कभी नहीं आया हाथी उस दर्जी की दुकान में।

 

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