अम्मा की कहानियॉँ

 

 

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एक सींघ मेरा ऐंडू-बैंडू

 

 

 

एक बकारा और एक बन्दर थे। जन्गल में रहते थे एक बेल के पेड़ की जड़ के पास।  बन्दर तो पेड़ के ऊपर चढ़ कर तोड़ कर फल खाता था। बकरा बेचारा तो झाड़ी में से नीचे से पत्ते तोड़- तोड़ कर खा लेता था। और वह बेचारा तो  भूखा रहता था। वह बन्दर से कहता था कि तुम मुझे बेल के पत्ते तोड़ कर दे दो। बन्दर तो देगा नहीं। वो बकरा शहर में खाना ढ़ूँढने आया। वहाँ उसने देखा कि बनिये की दुकान है। वह दुकान में घुस गया और अन्दर कोठरी में चला गया।

 

कोठरी में घी रखा था, आटा रखा था, गुड़ रखा था। बकरा वह सब खाने लगा। बनिये को किसी काम से दूसरे शहर जाना था। अपनी लड़की से कह कर गया कि दुकान की देख-भाल करना। लड़की जब कोठरी में जाने लगी तब अन्दर से आवाज आयी, एक सींघ मेरा ऐंडू-बैंडू, एक सींघ मेरा पत्थर फोड़ूँ, बनिये की बेटी तेरी पेट फोड़ूँ। वो तो भागी डर के मारे। जाने कौन आगया है।  अपनी माँ के पास गयी और बोली माँ दुकान में से आवाज रहीं हैं। फिर माँ भी आयी और उसने कहा कौन है अन्दर। अन्दर से आवाज आयी, एक सींघ मेरा ऐंडू-बैंडू, एक सींघ मेरा पत्थर फोड़ूँ, बनैनी  तेरा पेट फोड़ूँ। वो भागी वहाँ से। उसने दुकान के बाहर हल्ला मचाया और बाहर जो आदमी खड़े थे उनसे कहा, देखो तो सही कौन आगया है और कुछ-कुछ बोल रहा है। वे सब लोग दुकान के अन्दर आये। उनके हाथों में डन्डे थे। उन्हौंने खट-खट कर कहा कौन है, निकल बाहर। बकरे ने कहा पेट फोड़ दूँगा। उन्हौंने कहा कि तू पेट फोड़ कुछ और फोड़ पर पहले बता कि तू है कौन। कोठरी के अन्दर गये और देखा कि बकरा था। उन्हौंने उसकी पिटायी की। बकरा बेचारा में-में करता हुआ भागा और जन्गल में आगया।

 

बन्दर ने देखा कि बकरा खा-पी कर मोटा हो गया है। बन्दर ने कहा अरे यार तुम तो खूब मोटे हो कर आये हो। क्या करा तुमने। उसने कहा कि मैं एक बनिये की दुकान में घुस गया था। मैंने खूब खाया, घी पिया और आटा खाया। मैं तो बहुत मजे में रहा और मोटा हो गया। मैं तो ऐसे बोलता था कि एक सींघ मेरा ऐंडू-बैंडू, एक सींघ मेरा पत्थर फोड़ूँ। बन्दर ने कहा कि मैं भी जाता हूँ। तो बन्दरजी गये। दुकान में घुसे। बनिया जब अन्दर आया तब बन्दर चिल्लाया - एक सींघ मेरा ऐंडू-बैंडू, एक सींघ मेरा पत्थर फोड़ूँ, बनिये तेरा पेट फोड़ूँ। बनिये ने सोचा कि फिर से बकरा आगया है। वह डन्डा लेकर अन्दर गया और देखा कि बकरा तो नहीं है एक छोटा सा बन्दर है। उसने बन्दर को पकड़ लिया और उसके गले में रस्सी डाल दी। और बन्दर को रस्सी से बाँध दिया। और कहा अब देखते हैं कि कैसे तू किसका पेट फोड़ेगा।

 

बन्दर बेचारा तो बहुत दुखीखाने को कुछ नहीं पीने को कुछ नहीं।  बनिये को दूसरे शहर जाना पड़ गया। बनैनी किसी काम में व्यस्त थी जब बनिया बता कर गया कि  देखो बन्दर को बाँध कर जा रहा हूँ, इसे खोलना नहीं, बन्दर बहुत शैतान है। बन्दर को जब भूख लगी उसने बनिये की लड़की से कहा तू कहती क्यों नहीं है जो तेरे बापू कह गये हैं तेरी माँ से कहने के लिये। लड़की ने पूछा क्या कह गये थे बापू। बन्दर ने कहा कि वो यह कह गये थे कि बन्दर को रोज एक मोटी रोटी बनवा कर देना नहीं तो बन्दर कमजोर हो जायेगा। लड़की ने अपनी माँ से कहा कि जाते समय बापू कह गये थे कि बन्दर को रोज एक मोटी बनवा कर देना नहीं तो वह कमजोर हो जायेगा। तो फिर बनैनी ने मोटी रोटी बना कर रोज बन्दर को देनी शुरू कर दी।

 

जब बनिया वापिस आया उसने देखा कि बन्दर कमजोर होने कि बजाय मोटा ताजा हो गया है। उसने कहा कि मैंने कहा था कि बन्दर को रोज डन्डे से मारना और तुमने इसे रोज एक मोटी रोटी देदी। बस बनिये को तो बहुत गुस्सा आया और अपनी बनैनी को मारने लगा।

बन्दर ने बनिये की लड़की से कहा कि तू मुझे खोल दे मैं तेरी माँ को बचा लूँगा। सीधी लड़की थी। उसने झट से बन्दर के गले से रस्सी खोल दी। बन्दर भागा और कहने लगा कि हम तो खेल खिलावन आये, बनैनी की खूब पिटायी कराये। और बन्दर पेड़ में रहने लगा।

 

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